निधि

आत्मा की सबसे बड़ी निधियाँ हैं – स्वाधीनता, सरलता और समता भाव।
इन्हें अपन को ग्रहण करना है, Develop करना है।

आचार्य श्री विद्यासागर जी

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One Response

  1. निधि का तात्पर्य बहुमूल्य खजाना है। अतः आचार्य श्री विद्या सागर महाराज जी ने निधि की परिभाषा बताई गई है वह पूर्ण सत्य है। अतः जीवन के कल्याण के लिए आत्मा की निधियां ग़हण करना है एवं उसको और मजबूत बनाने का प़यास करना परम आवश्यक है।

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