निमित्त तथा नियति को एक समय में एक को ही महत्व देने का मतलब उसकी अधीनता स्वीकार करना। लेकिन दोनों तथा अन्य कारणों (पाँचों संवाय जैसे स्वयं की क्षमतादि) को महत्व देने का मतलब किसी एक की अधीनता को नहीं स्वीकारना।
शांतिपथ प्रदर्शक
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निमित्त एवं नियति को परिभाषित किया गया है वह पूर्ण सत्य है। अतः जीवन के कल्याण के लिए निमित्त एवं नियति पर भरोसा करना परम आवश्यक है।
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निमित्त एवं नियति को परिभाषित किया गया है वह पूर्ण सत्य है। अतः जीवन के कल्याण के लिए निमित्त एवं नियति पर भरोसा करना परम आवश्यक है।
‘पाँचों संवाय’ ka kya meaning hai, please ?
1)पुरुषार्थ
2)निमित्त
3)होनहार/ भव्यत्वता
4)काललब्धि
5)उपादान/ आंतरिक योग्यता।
Okay.