यदि नियतिवाद को अपनाओगे तो स्वच्छंदता पनपेगी;
ना संसार चल पायेगा, ना परमार्थ ।
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नियतिवाद का मतलब जो जब, जिसके द्वारा,जिस प्रकार से,जिसका,नियम से होता है।वह तब भी, जिसके द्वारा,तिस प्रकार से होता है।ऐसा मानना नियतवाद नाम का एकांत मिथ्यात्व होता है। अतः उक्त कथन सत्य है कि यदि नियतवाद को अपनाओगे तो स्वच्छंदता पनपेगी, इससे ना संसार चल पायेगा,ना परमार्थ।यह मेरे विचार से एकांतवाद होता है, लेकिन जैन धर्म में अनेकांत की बात कही है।
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नियतिवाद का मतलब जो जब, जिसके द्वारा,जिस प्रकार से,जिसका,नियम से होता है।वह तब भी, जिसके द्वारा,तिस प्रकार से होता है।ऐसा मानना नियतवाद नाम का एकांत मिथ्यात्व होता है। अतः उक्त कथन सत्य है कि यदि नियतवाद को अपनाओगे तो स्वच्छंदता पनपेगी, इससे ना संसार चल पायेगा,ना परमार्थ।यह मेरे विचार से एकांतवाद होता है, लेकिन जैन धर्म में अनेकांत की बात कही है।