अभयदान
एक ब्रम्हचारी जी कुछ हरी सब्जियों को रख कर बाकी का त्याग कर देते थे,
और भोजन से पहले हाथ उठा कर बोलते थे – हे बाकी सब्जियों तुम निश्चिंत रहो, तुमको अभयदान देता हूँ ।
एक ब्रम्हचारी जी कुछ हरी सब्जियों को रख कर बाकी का त्याग कर देते थे,
और भोजन से पहले हाथ उठा कर बोलते थे – हे बाकी सब्जियों तुम निश्चिंत रहो, तुमको अभयदान देता हूँ ।
One Response
This shows the extent to which one can go to give “abhaydan” to living beings, some of which we take for granted.Truly this is a very nice anecdote which sets a very high standard of practising non-violence.