जब वर्तमान में निर्वाह आराम से चल रहा है तो कल के निर्वाण की चिंता क्यों करें ?
ताकि कम से कम, कल का निर्वाह भी चल सके,
और भविष्य में कभी निर्वाह की चिंता ना करनी पड़े,
इसी को तो निर्वाण कहते हैं।
चिंतन
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यह कथन बिलकुल सत्य है कि मनुष्य अपना वर्तमान में निवॉह तो करता है लेकिन भविष्य की चिंता में लगा रहता है।जिसे निवॉह की चिंता नहीं होती है वही निवॉण के मार्ग पर चल सकता है।भगवान् के पास सब कुछ था लेकिन सब का त्याग करके निवॉण प़ाप्त करने में समर्थ हो सके थे।अतः निवॉण पाना है तो धर्म को स्वीकार करना चाहिए।
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यह कथन बिलकुल सत्य है कि मनुष्य अपना वर्तमान में निवॉह तो करता है लेकिन भविष्य की चिंता में लगा रहता है।जिसे निवॉह की चिंता नहीं होती है वही निवॉण के मार्ग पर चल सकता है।भगवान् के पास सब कुछ था लेकिन सब का त्याग करके निवॉण प़ाप्त करने में समर्थ हो सके थे।अतः निवॉण पाना है तो धर्म को स्वीकार करना चाहिए।