व्यक्ति स्वार्थी है, यह पता चलता है नज़दीकियाँ बढ़ने के बाद; और नि:स्वार्थ है, यह पता चलता है उससे दूरियाँ बढ़ने के बाद।
(सुरेश)
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4 Responses
उपरोक्त कथन सत्य है कि स्वार्थी का पता नजदीकियां बढने के बाद पता चलता है एवं निस्वार्थी का पता दूरियाँ बढने के बाद पता चलता है! अतः जीवन में निस्वार्थी से ही संमबन्ध रखना चाहिए ताकि जीवन का कल्याण हो सकता है!
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उपरोक्त कथन सत्य है कि स्वार्थी का पता नजदीकियां बढने के बाद पता चलता है एवं निस्वार्थी का पता दूरियाँ बढने के बाद पता चलता है! अतः जीवन में निस्वार्थी से ही संमबन्ध रखना चाहिए ताकि जीवन का कल्याण हो सकता है!
‘नि:स्वार्थ’ व्यक्ति ka उससे दूरियाँ बढ़ने के बाद, kaise pata chalta
hai ?
पास रहने पर तो मतलब/ लिहाज़ से भी काम करता है।
दूर रह कर भी care करे/ काम आये तब निस्वार्थी।
Okay.