संसार की निस्सारता वही समझ पाते हैं जिनमें कुछ सार हो।
(पापी/ भोगी के जीवन सारहीन, वे संसार की निस्सारता को क्या समझेंगे !)
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उपरोक्त कथन सत्य है कि संसार की निस्तारता वही समझ पाते हैं, जिनमें कुछ सार हो! लेकिन पापी या भोगी के जीवन सारहीन होते हैं, वह निस्सारता को नहीं समझ सकते हैं!
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उपरोक्त कथन सत्य है कि संसार की निस्तारता वही समझ पाते हैं, जिनमें कुछ सार हो! लेकिन पापी या भोगी के जीवन सारहीन होते हैं, वह निस्सारता को नहीं समझ सकते हैं!