“पर” चिंतन

कहा है → “….”पर” चिंतन अधमाधम(अधम से अधम)”
प्रश्न → तो हम तिर्यंचों पर दया क्यों करें ? उनकी चिंता क्यों करें ?
“पर” चिंतन को अघमाधम इसलिये कहा क्योंकि इससे मोह बढ़ता है। लेकिन तिर्यंचों पर दया करने से मोह नहीं बढ़ता बल्कि आत्मा के दयाभाव/ स्वाभाविक स्वरूप का विकास ही होता है।

चिंतन

Share this on...

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

This question is for testing whether you are a human visitor and to prevent automated spam submissions. *Captcha loading...

Archives

Archives

December 8, 2023

November 2024
M T W T F S S
 123
45678910
11121314151617
18192021222324
252627282930