परिषह-जय, मोक्ष की परीक्षा का आवश्यक प्रश्न है ।
इससे संवर व निर्जरा होती है ।
भेद….
1. शारीरिक
2. मानसिक – मुझे कोई सुनने नहीं आता
3. बौद्धिक – ज्ञानावरण मोटा होने से ।
आचार्य श्री विद्यासागर जी
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परिषय-जय का मतलब भूख व्याधि आदि वेदना के होने पर कर्मों की निर्जरा के लिए उसे समता पूर्वक सहन कर लेना कहलाता है।यह बाईस प़कार के होते हैं।
अतः परिषय-जय का कथन सत्य है्।
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परिषय-जय का मतलब भूख व्याधि आदि वेदना के होने पर कर्मों की निर्जरा के लिए उसे समता पूर्वक सहन कर लेना कहलाता है।यह बाईस प़कार के होते हैं।
अतः परिषय-जय का कथन सत्य है्।