पाप का प्रक्षालन
कलकत्ता का बेलगछिया का भव्य जैन मंदिर 26-27 बीघा के उपवन के बीच, शहर के मध्य स्थित है।
बनवाने वाले सेठ हुलासीराम बड़े अय्याश थे।
उनके हितैषी ने समझाया – जाने से पहले अपने पाप तो धो जाओ।
आज उनका नाम/निशान बना हुआ है, घर वालों का अतापता ही नहीं।
मुनि श्री प्रमाणसागर जी
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पाप का तात्पर्य जो आत्मा को शुभ से बचाए,या दूसरों के प्रति अशुभ परिणाम होना ही पाप है यह चार प्रकार के होते हैं, हिंसा, झूठ,कुशील और परिग़ह। अतः उपरोक्त कथन सत्य है कि कलकत्ता का बैलगछिया का भव्य मन्दिर का निर्माण करवाया गया था,जो भारत में बहुत सुन्दर है।यह कथन सत्य है कि सेठ हुलासीराम बहुत अय्याशी थे, लेकिन उन्होंने पापों का प़क्षालन किया था।आज उनका नाम प़सिद्व है, जबकि उनके परिवार का नामो निशान नहीं है। जीवन में पाप का प़क्षालन करना परम आवश्यक है ताकि जीवन का कल्याण हो सकता है।