पुण्य का फल मीठा लगता है/होता है,
पर उसकी गुठली पाप रूप होती है ।
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पाप—जो आत्मा को शुभ से बचाए अथवा दूसरो के प़ति अशुभ परिणाम का होना भी पाप है।हिंसा, झूठ, चोरी, कुशील और परिग़ह करना भी पाप होता है।
पुण्य—आत्मा को पवित्र करता है अथवा जीव के दया, दान, पूजा आदि रुप शुभ परिणाम को कहते हैं।
अतः यह कथन सत्य है कि पुण्य का फल मीठा होता है एवं लगता भी है लेकिन उसकी गुठली पाप रुप होती है।
अतः पाप को काटना चाहिए और पुण्य को त्याग करना चाहिए।
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पाप—जो आत्मा को शुभ से बचाए अथवा दूसरो के प़ति अशुभ परिणाम का होना भी पाप है।हिंसा, झूठ, चोरी, कुशील और परिग़ह करना भी पाप होता है।
पुण्य—आत्मा को पवित्र करता है अथवा जीव के दया, दान, पूजा आदि रुप शुभ परिणाम को कहते हैं।
अतः यह कथन सत्य है कि पुण्य का फल मीठा होता है एवं लगता भी है लेकिन उसकी गुठली पाप रुप होती है।
अतः पाप को काटना चाहिए और पुण्य को त्याग करना चाहिए।