पुण्य के योग में सीता लंका में भी सुरक्षित थीं,
और पाप के योग में द्रौपदी अपने महल में भी असुरक्षित ।
(ब्र.रेखा दीदी)
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पुण्य- – जो आत्मा को पवित्र करतें हैं या जिससे आत्मा पवित्र होती है उसे कहते हैं यानी शुभ परिणाम को पुण्य कहते हैं। पाप- – जो आत्मा को शुभ से बचाये, वह पाप है अथवा दूसरों के प्रति अशुभ परिणाम होना पाप है।
अतः यह कथन सत्य है कि पुण्य के योग में सीता लंका में सुरक्षित रही थी लेकिन पाप के योग में द़ौपती अपने महल में भी असुरक्षित रही थी।
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पुण्य- – जो आत्मा को पवित्र करतें हैं या जिससे आत्मा पवित्र होती है उसे कहते हैं यानी शुभ परिणाम को पुण्य कहते हैं। पाप- – जो आत्मा को शुभ से बचाये, वह पाप है अथवा दूसरों के प्रति अशुभ परिणाम होना पाप है।
अतः यह कथन सत्य है कि पुण्य के योग में सीता लंका में सुरक्षित रही थी लेकिन पाप के योग में द़ौपती अपने महल में भी असुरक्षित रही थी।