आचार्य श्री का यश पुण्योदय से नहीं, उनके पुरुषार्थ/तप से फैला है ।
मुनि श्री सुधासागर जी
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आचार्य जी का यश उनके पुरुषार्थ जैसे साधना, तप और ध्यान से ही मिला है। पुण्य तो बहुतों को प्राप्त होता है लेकिन बिना पुरुषार्थ के किसी तरह का फल प्राप्त नहीं होता ।
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आचार्य जी का यश उनके पुरुषार्थ जैसे साधना, तप और ध्यान से ही मिला है। पुण्य तो बहुतों को प्राप्त होता है लेकिन बिना पुरुषार्थ के किसी तरह का फल प्राप्त नहीं होता ।