पुदगल का मतलब जो पूरण और गलने स्वभाव वाला होता है, अथवा जिसमें रुप रस गंध व स्पर्श ये चारों गुण पाए जाते हैं। वर्ण का मतलब जिसके उदय से शरीर में श्वेत आदि वर्ण अर्थात रंग की उत्पत्ति होती है।
निमित्त का मतलब जो कार्य के होने में सहयोगी होते हैं या जिसके बिना कार्य नहीं हो सकता है।
अतः उपरोक्त कथन सत्य है कि पुदगल की स्वाभाविक परिणति वर्ण यानी अंधकार है , जबकि प़काश तो नैमित्तिक होता है।
4 Responses
“प्रकाश तो नैमित्तिक है” ka kya meaning hai?
पुद्गल जो अंधकारमय नहीं दिखते, प्रकाश देते हैं उनके पीछे कोई निमित्त होता है जैसे उद्योत नाम कर्म ।
पुदगल का मतलब जो पूरण और गलने स्वभाव वाला होता है, अथवा जिसमें रुप रस गंध व स्पर्श ये चारों गुण पाए जाते हैं। वर्ण का मतलब जिसके उदय से शरीर में श्वेत आदि वर्ण अर्थात रंग की उत्पत्ति होती है।
निमित्त का मतलब जो कार्य के होने में सहयोगी होते हैं या जिसके बिना कार्य नहीं हो सकता है।
अतः उपरोक्त कथन सत्य है कि पुदगल की स्वाभाविक परिणति वर्ण यानी अंधकार है , जबकि प़काश तो नैमित्तिक होता है।
Okay.