पुरुषार्थ

पुरुषार्थ = पुरुष का इच्छापूर्वक किया गया कार्य।
पुरुषार्थ तो जड़ भी करते हैं जैसे भाप के कार्य।

क्षु.श्री जिनेन्द्र वर्णी जी

आमतौर पर एक विवेकवान व्यक्ति द्वारा किये जाने वाले हितकारी कार्य को पुरुषार्थ कहा जाता है, यथा धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष। किंतु पुरुष का एक अर्थ जीवात्मा भी होता है। अतः आध्यात्मिक संदर्भ में पुरुषार्थ का आशय है जीवात्मा के लिए हितकारी कार्य।

कमल कांत

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4 Responses

  1. पुरुषार्थ का उदाहरण दिया गया है वह पूर्ण सत्य है। अतः जीवन के कल्याण के लिए भाग्य की जगह पुरुषार्थ करते रहना परम आवश्यक है ताकि जीवन में अच्छे परिणाम मिलते रहेंगे।

  2. पुरुषार्थ kya sirf purushon ke liye applicable
    hai ? Ise clarify karenge, please ?

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