प्रमादी
प्रमादी का भाग्य कभी नहीं फलता।
भाग्य भरोसे बैठने वालों को वही वस्तुयें मिलती हैं, जो पुरुषार्थी छोड़ जाते हैं।
आचार्य श्री विद्यासागर जी
प्रमादी का भाग्य कभी नहीं फलता।
भाग्य भरोसे बैठने वालों को वही वस्तुयें मिलती हैं, जो पुरुषार्थी छोड़ जाते हैं।
आचार्य श्री विद्यासागर जी
One Response
प़मादी का तात्पर्य अच्छे कार्यों के करने में आदर भाव न होना कहलाता है, इसमें संज्वलन कषाय का तीव्र उदय होता है। अतः आचार्य श्री विद्यासागर महाराज जी का कथन सत्य है कि प़मादी का भाग्य कभी नहीं फलता है, भाग्य भरोसे बैठने वालों को वही वस्तुऐं मिलती हैं, जो पुरुषार्थी छोड़ जाते हैं। अतः कल्याण के लिए प़माद छोड़ना परम आवश्यक है।