प्रवृत्ति
राजा ने (निमित्त) ज्ञानी से पूछा –
मेरा कुल कैसा है ?
कुलीन नहीं है।
पता लगाया गया, राजा एक चरवाहे का बेटा था, जो गोद लिया गया था।
तुमने कैसे पहचाना ?
आप इनाम में भेड़-बकरियाँ देते हैं जबकि राजा तो सोना-चाँदी देते हैं।
प्रवृत्ति से औकात की पहचान होती है।
मुनि श्री प्रमाण सागर जी
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प़वृत्ति का मतलब किसी जीव की कार्य शैली से पहिचान होना। अतः मुनि श्री ने जो उदाहरण दिया गया है वह पूर्ण सत्य है। प़वृत्ति से ही औकात की पहिचान होती है। अतः हर जीव को अपनी प़वृति पर ध्यान देना चाहिए ताकि जीवन का कल्याण हो सकता है।