प्रवृत्ति में व्यवहार, नीति, धर्म।
निवृत्ति में निश्चय, अध्यात्म।
मुनि श्री प्रमाणसागर जी
Share this on...
One Response
मुनि श्री प़माणसागर महाराज जी ने प़वृत्ति एवं निवृत्ति को परिभाषित किया गया है वह पूर्ण सत्य है। अतः जीवन के कल्याण के लिए निवृत्ति की ओर बढने का प़यास करना परम आवश्यक है।
One Response
मुनि श्री प़माणसागर महाराज जी ने प़वृत्ति एवं निवृत्ति को परिभाषित किया गया है वह पूर्ण सत्य है। अतः जीवन के कल्याण के लिए निवृत्ति की ओर बढने का प़यास करना परम आवश्यक है।