समाधान से ज्यादा महत्वपूर्ण प्रश्न होता है। इससे संवेग-भाव बना रहता है जो मोक्षमार्ग में सहायक होता है। प्रश्न से ही तो गौतम गणधर का मोक्षमार्ग शुरू हुआ था।
प्रश्न बने रहने से समाधान भी स्वयं मिलने लगते हैं।
मुनि श्री प्रणम्यसागर जी (तित्थ.भा.- संवेग भावना)
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4 Responses
मुनि श्री प़णम्यसागर महाराज जी ने प़श्न एवं समाधान का उदाहरण दिया गया है वह पूर्ण सत्य है। अतः जीवन में प़श्न होना चाहिए ताकि समाधान मिलते रहें।
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मुनि श्री प़णम्यसागर महाराज जी ने प़श्न एवं समाधान का उदाहरण दिया गया है वह पूर्ण सत्य है। अतः जीवन में प़श्न होना चाहिए ताकि समाधान मिलते रहें।
प्रश्न se संवेग-भाव kaise बना रहता है ?
यहाँ जिन प्रश्नों की बात हो रही है वे धर्म/ मोक्षमार्ग से सम्बन्धित ही होंगे। जब तक समाधान नहीं मिलेगा, धर्म/ मोक्षमार्ग में मन/ दिमाग लगा रहेगा।
Okay.