प्रायश्चित की सार्थकता प्रतिक्रमण/ प्रत्याख्यान के साथ ही होती है,
वरना गलती करते जाओ और प्रायश्चित लेते जाओ।
मुनि श्री प्रमाणसागर जी
Share this on...
One Response
जब किसी से गल्लितियाँ हो जाती हैं तब प़ायश्चित के लिए प़तिक़मण करना चाहिए, जिससे पुनः गल्लितियां न हो सकें ।जीवन में सुधार के लिए प़तिदिन प़तिक़मण करना आवश्यक है।
One Response
जब किसी से गल्लितियाँ हो जाती हैं तब प़ायश्चित के लिए प़तिक़मण करना चाहिए, जिससे पुनः गल्लितियां न हो सकें ।जीवन में सुधार के लिए प़तिदिन प़तिक़मण करना आवश्यक है।