छेदन-भेदन से भी प्रासुक होता है,
जैसे सोंफ आदि को पीसने से/छिलका हटने की अपेक्षा प्रासुक कहा;
लेकिन फलों के लिये ये विधि नहीं लगेगी ।
आर्यिका श्री विज्ञानमती जी
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प़ासूक का तात्पर्य जल, वनस्पति आदि विशेष प़क्रिया के द्वारा सूक्ष्म जीवों से संचार से रहित करना होता है, जिसमें एक इंद्रिय आदि जीव निकल जाते हैं,यही प़ासूक द़व्य माना जाता है,इसी प्रकार जल को स्वच्छ वस्त्र से छानने पर दो घड़ी की म्याद रहती है जबकि उबला हुआ पानी चौबीस घन्टे तक प़ासूक रहता है। अतः उपरोक्त कथन सत्य है कि छेदन भेदन से भी प़ासूक होता है सोंफ आदि पीसने से छिलका हटने से प़ासूक हो जाता है, लेकिन फल आदि में यह विधी नहीं लगती है। अतः सूक्ष्म जीवों का हटाना आवश्यक है, क्योंकि वह एक इन्द्रिय जीवों से रक्षा करना आवश्यक है।
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प़ासूक का तात्पर्य जल, वनस्पति आदि विशेष प़क्रिया के द्वारा सूक्ष्म जीवों से संचार से रहित करना होता है, जिसमें एक इंद्रिय आदि जीव निकल जाते हैं,यही प़ासूक द़व्य माना जाता है,इसी प्रकार जल को स्वच्छ वस्त्र से छानने पर दो घड़ी की म्याद रहती है जबकि उबला हुआ पानी चौबीस घन्टे तक प़ासूक रहता है। अतः उपरोक्त कथन सत्य है कि छेदन भेदन से भी प़ासूक होता है सोंफ आदि पीसने से छिलका हटने से प़ासूक हो जाता है, लेकिन फल आदि में यह विधी नहीं लगती है। अतः सूक्ष्म जीवों का हटाना आवश्यक है, क्योंकि वह एक इन्द्रिय जीवों से रक्षा करना आवश्यक है।