बाह्य/अन्तरंग योग
अच्छे कर्म यदि बुरे भाव से किये जायें तो परिणाम शून्य।
बुरे कर्म अच्छे भाव से, तो भी शून्य।
गुरुवर मुनि श्री क्षमासागर जी
अच्छे कर्म यदि बुरे भाव से किये जायें तो परिणाम शून्य।
बुरे कर्म अच्छे भाव से, तो भी शून्य।
गुरुवर मुनि श्री क्षमासागर जी
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मुनि श्री क्षमासागर महाराज जी ने ब़ाह्य एवं अंतरग योग का उदाहरण दिया गया है वह पूर्ण सत्य है। अतः जीवन के कल्याण के लिए अच्छे कर्म अच्छे भाव से करने पर ही अच्छे परिणाम मिल सकते हैं।