बीस तीर्थंकर
- पुराने आचार्यों ने 20 तीर्थंकरों की भक्ति नहीं लिखी ।
- भरत ने 72 जिनालय बनाये पर बीस तीर्थंकरों के नहीं ।
- पुरानी प्रतिमायें भी नहीं मिलतीं है ।
- स्तुति करने में दोष नहीं, पर मूल प्रतिमा नहीं होनी चाहिये । अपने देश के राजा को कम महत्व और दूसरे देश के राजा को महत्व देना न्याय/तर्क संगत नहीं ।
मुनि श्री सुधासागर जी
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मुनि श्री सुधासागर महाराज जी का कथन सत्य है कि पुरानी प़तिमायें 20 तीर्थंकरों की नहीं मिलती हैं लेकिन यह सत्य है कि पूर्व में 24 भगवान् हुए थे और वर्तमान में 24 हुए हैं और भविष्य में भी 24 भगवान् होंगे। सभी भगवान् एक से हैं इसलिए किसी एक की पूजा-अर्चना करोगे तो आपको कोई भी अन्तर नहीं रहेगा ।
“पर मूल प्रतिमा नहीं होनी चाहिये” ka kya meaning hai, please?
“अपने देश के राजा को कम महत्व और दूसरे देश के राजा को महत्व देना न्याय/तर्क संगत नहीं ।”
Okay.