बुद्धि / समझदारी
बुद्धि में तर्क होता है; पक्ष/विपक्ष, एक तरफ़ झुकाव। समझदारी निष्पक्ष होती है; अनुभव तथा विशुद्धि से आती है।
एक ज़िगज़ैग पाइप में केबॅल डालना था। बुद्धिमान लोगों की समझ में नहीं आ रहा था। एक गड़रिये ने चूहे की दुम में डोरी बाँध कर पाइप में छोड़ दिया। बस, उस डोरी से केबॅल को बाँधकर खींच लिया।
इसे कहते हैं समझदारी!
मुनि श्री प्रमाणसागर जी
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उपरोक्त कथन सत्य है कि बुद्धि में तर्क़ होता है, इसमें पक्ष विपक्ष में एक तरह का झुकाव हो जाता है, जबकि समझदारी निष्पक्ष, अनुभव तथा विशुद्वी से आती है। इसमें जो गड़रिया का उदाहरण दिया गया है वह पूर्ण सत्य है, क्योंकि समझदारी से काम किया गया था। अतः जीवन में हर कार्य को समझदारी से करना चाहिए ताकि आवश्यक परिणाम मिल सकता है।