बुराई छोड़ी नहीं जाती, उनके प्रति तो जगा जाता है ।
छोड़ी तो बुरी प्रवृतियाँ जाती हैं ।
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श्री आदिनाथ भगवान ने, मनुष्यों को दो कल्पवृक्ष दिये हैं, जो माता-पिता के रूप में हैं ।माता-पिता के द्वारा ही, संस्कार मिलते हैं, जो जीवन भर काम आते हैं ।लेकिन आजकल, पाश्चात्य संस्कृति की वजह से, संस्कारों की शिक्षा नहीं मिल रही है; इसके कारण, बच्चे माँ-बाप से, अलग हो रहे हैं ।अतः माता-पिता, अपने बच्चों को अच्छे संस्कार देने का, प्रयास करें ।
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श्री आदिनाथ भगवान ने, मनुष्यों को दो कल्पवृक्ष दिये हैं, जो माता-पिता के रूप में हैं ।माता-पिता के द्वारा ही, संस्कार मिलते हैं, जो जीवन भर काम आते हैं ।लेकिन आजकल, पाश्चात्य संस्कृति की वजह से, संस्कारों की शिक्षा नहीं मिल रही है; इसके कारण, बच्चे माँ-बाप से, अलग हो रहे हैं ।अतः माता-पिता, अपने बच्चों को अच्छे संस्कार देने का, प्रयास करें ।
“Buraai”aur “Buri pravrattiyon” mein kya difference hai,please?
“Buraai”aur “Buri pravrattiyon” mein kya difference hai,please?
बुराई internal,
प्रवृत्ति external .