बोध-वाक्य

  • बाहर एकता रखनी है, अंदर एकत्व भाव।
  • सोते समय भी सावधानी बरतते हैं/ तीनों मौसमों में भी, फिर भावों में क्यों नहीं ?
    अगर सावधानी इस मौसम(बरसात)में नहीं रखी तो हड्डी टूटने का डर रहता है और भावों में नहीं रखी तो हड्डी मिलेगी ही नहीं, या तो हम नरक जाएंगे या पेड़-पौधे(एकेन्द्रिय जीव) बनेंगे।
  • मृत्यु को टाला नहीं जा सकता, सुधारा जा सकता है।

आर्यिका श्री पूर्णमति माताजी (25 अगस्त 2024)

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8 Responses

  1. आर्यिका श्री पूर्णमती माता जी ने बोध वाक्य को परिभाषित किया गया है वह पूर्ण सत्य है। अतः जीवन के कल्याण के लिए मृत्यु को टाला नहीं जा सकता है, लेकिन सुधारा जाना परम आवश्यक है।

  2. आर्यिका श्री पूर्णमती माता जी ने बोध वाक्य को परिभाषित किया गया है वह पूर्ण सत्य है। अतः जीवन के कल्याण के लिए कर्म सिद्धांत पर विश्वास करना परम आवश्यक है।

    1. बिल्कुल सुधारा जा सकता है। समाधिमरण/ भगवान का नाम लेते हुए शांति से मरण। दूसरी तरफ चीख पुकार करते हुए अस्पताल में एड़ियाँ रगड़ते हुए मारण।

  3. सोते समय भी सावधानी kyun बरतते हैं ? Ise clarify karenge, please?

    1. वरना पलंग से नीचे गिर जाओगे।
      मुनिराज करवट बदलते समय पिच्छी लगाते हैं।
      यह सावधानी है ना ?

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