क्योंकि हम पापों पर विश्वास करते हैं, पुण्य पर नहीं ।
श्री राम वनवास जाते समय प्रसन्न इसलिये थे कि उन्हें अपने पुण्यों पर विश्वास था ।
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आजकल लोग पापों में ही व्यस्त रहते हैं जिससे भक्ति का फल नहीं मिलता है।यदि पापों को काटने के लिए करें तब सही भक्ति हो सकती है।आजकल लोगों को पुण्य का उदय होता है तो पाप के कायोँ में लगे रहते हैं, जिसके कारण भक्ति में मन नहीं लगता है।अतः उचित होगा कि अपने कर्म काटने के लिए भगवान को हृदय में आत्मसात करना चाहिए तभी सही भक्ति होगी।
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आजकल लोग पापों में ही व्यस्त रहते हैं जिससे भक्ति का फल नहीं मिलता है।यदि पापों को काटने के लिए करें तब सही भक्ति हो सकती है।आजकल लोगों को पुण्य का उदय होता है तो पाप के कायोँ में लगे रहते हैं, जिसके कारण भक्ति में मन नहीं लगता है।अतः उचित होगा कि अपने कर्म काटने के लिए भगवान को हृदय में आत्मसात करना चाहिए तभी सही भक्ति होगी।