भगवान/गुरु, वे नहीं जो भक्तों से राग करते हों, बल्कि वे जो दुश्मनों से द्वेष ना करते हों ।
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भगवान/गुरु किसी भी प़ाणी से राग द्वेष नहीं रखते हैं। भगवान/गुरु उन्ही को देखते हैं जो उनके गुणो को आत्मसात करते हैं। अतः सही भक्त वही होते हैं जो भगवान/गुरु के गुणों को आत्मसात करते हैं।
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भगवान/गुरु किसी भी प़ाणी से राग द्वेष नहीं रखते हैं। भगवान/गुरु उन्ही को देखते हैं जो उनके गुणो को आत्मसात करते हैं। अतः सही भक्त वही होते हैं जो भगवान/गुरु के गुणों को आत्मसात करते हैं।
Very true. It is very easy to like people who in return, like us.The real test is to accept our critics with equal ease and happiness.