भाग्य / समय
‘भाग्य से अधिक और समय से पहले कुछ नहीं मिलता’ – यह सिद्धांत शुरुआत के लिए खतरनाक है/ पुरुषार्थहीन बना देता है।
पुरुषार्थ पूरा करने के बाद, फल का इंतज़ार करते समय इस सिद्धांत को जरूर लगाना, तब यह आपको Tension से मुक्ति दिला देगा।
निर्यापक मुनि श्री वीरसागर जी
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मुनि श्री वीरसागर महाराज जी ने भाग्य एवं समय की परिभाषा बताई गई है वह पूर्ण सत्य है। अतः जीवन भाग्य भरोसे पर नहीं छोडना चाहिए बल्कि पुरुषार्थ करते हुए समय की प़तीक्षा करना परम आवश्यक है, जीवन में परिणाम अवश्य मिलता है