भैंस के आगे बीन बजाना
ऐसी कहावत क्यों ?
जब कि उसे सुनाई तो देता है, अपने बच्चे की हलकी सी आवाज़
भी सुन लेती है!
पर ये तो राग/मोह की आवाज़ होती है,
बीच सड़क पर तेज़ हौर्न नहीं सुनती/सुनकर अनसुना कर देती है।
यदि हम भी अपने हित की बातें न सुनते हों, अनसुना कर देते हों तो!!
निर्यापक मुनि श्री वीरसागर जी
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मुनि श्री वीरसागर महाराज जी ने भैंस के आगे बीन बजाने का उदाहरण दिया गया है वह पूर्ण सत्य है! अतः जीवन में किसी तरह अपने सामने योग्य व्यक्ति से ही सम्पर्क करना ताकि जीवन की परिणाम मिल सकता है!
अपने हित की बात को,
हर कोई लेता सुन।
अगर ना मतलब है तो
नगाड़े भी अनसुन।।
2)….
आत्म हित की बात को,
सुनो बंधु तत्काल।
चूके मौका तुम अगर,
डस सकता है काल।।