एक ब्रह्मचारी मानसिक विकलांगों की संस्था में भोजन कराने गये। कुछ बच्चों ने अति ग्रहण करके वमन कर दिया। एक तो थाली से वमन के साथ भी खाता रहा।
घृणा आ रही है न ?
हम क्या करते आ रहे हैं ?
भोगी हुईं वर्गणाओं को ही तो बार ग्रहण कर रहे है न ?
मुनि श्री मंगलसागर जी
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मुनि श्री मंगलसागर महाराज जी ने भोगी वर्गणाऔ का ग़हण को परिभाषित किया गया है वह पूर्ण सत्य है।
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मुनि श्री मंगलसागर महाराज जी ने भोगी वर्गणाऔ का ग़हण को परिभाषित किया गया है वह पूर्ण सत्य है।