भोजन
साधु और शेर भोजन करके शांत, गृहस्थ और हाथी को जितना मिष्ठान/माल उतना उदंड।
डॉक्टर भी मोटापा कम कराने के लिये मीठा बंद कराते हैं।
साधु जानते हैं कि माल खाने से मद आता है।
मुनि श्री सुधासागर जी
साधु और शेर भोजन करके शांत, गृहस्थ और हाथी को जितना मिष्ठान/माल उतना उदंड।
डॉक्टर भी मोटापा कम कराने के लिये मीठा बंद कराते हैं।
साधु जानते हैं कि माल खाने से मद आता है।
मुनि श्री सुधासागर जी
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उपरोक्त कथन सत्य है कि ज्यादा भोजन करने पर मद यानी घमंड महसूस करता है।भोजन हर जीव को करना आवश्यक है, लेकिन भोजन सात्विक होना चाहिए एवं भूख से कम करना चाहिए ताकि स्वास्थ्य ठीक रह सकता है। जबकि साधुओं एवं आर्यिका सभी आहार लेते हैं। दिन में एक बार लेते हैं, आहार एक तिहाई भोजन एवं एक तिहाई पानी एवं दो तिहाई हवा का सेवन करते हैं, जो उनकी आत्मा के लिए आवश्यक होता है। अतः श्रावकों को साधुओं एवं आर्यिकाओं को देखकर अपने भोजन की चर्या करना चाहिए ताकि जीवन स्वस्थ रह सकता है एवं जीवन का आनंद उठाने में समर्थ हो सकते हैं।