मतमतांतर भरत/ऐरावत तथा विदेह क्षेत्र में भी होते हैं ।
पर हुंडा की वज़ह से भरत/ऐरावत में देव, शास्त्र, गुरु भी भिन्न भिन्न हो जाते हैं ।
पं.रतनलाल बैनाड़ा जी
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हुण्डावसर्पिणी असंख्यात अवसर्पणी और उत्सर्पिणी काल बीत जाने पर आता है, इसमें कई बातें असामान्य होती है। अतः उपरोक्त कथन सत्य है कि मतमतांतर भरत ऐरावत तथा विदेह क्षेत्र में भी होते हैं,पर हुंण्डा की वजह से भरत और ऐरावत में देव शास्त्र गुरु भी भिन्न भिन्न हो जाते हैं।
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हुण्डावसर्पिणी असंख्यात अवसर्पणी और उत्सर्पिणी काल बीत जाने पर आता है, इसमें कई बातें असामान्य होती है। अतः उपरोक्त कथन सत्य है कि मतमतांतर भरत ऐरावत तथा विदेह क्षेत्र में भी होते हैं,पर हुंण्डा की वजह से भरत और ऐरावत में देव शास्त्र गुरु भी भिन्न भिन्न हो जाते हैं।