विज्ञानानुसार मूड, भावनायें, स्मृतियाँ मन से होती हैं,
धर्मानुसार इनका बदलना/नियंत्रण करना हमारे हाथ में है ।
मुनि श्री प्रमाणसागर जी
Share this on...
One Response
मन का मतलब नाना प्रकार के विकल्प जाल को कहते हैं, अथवा गुण दोष का विचार व स्मरण करना भी है,यह दो प्रकार के होते हैं द़व्य और भाव मन।
अतः उपरोक्त कथन सत्य है कि विज्ञानानुसार मूड, भावनाओं और स्मृतियों मन से ही होती है जबकि धर्मानुसार इनका बदलना और नियंत्रण करना हमारे हाथ में ही होता है।
One Response
मन का मतलब नाना प्रकार के विकल्प जाल को कहते हैं, अथवा गुण दोष का विचार व स्मरण करना भी है,यह दो प्रकार के होते हैं द़व्य और भाव मन।
अतः उपरोक्त कथन सत्य है कि विज्ञानानुसार मूड, भावनाओं और स्मृतियों मन से ही होती है जबकि धर्मानुसार इनका बदलना और नियंत्रण करना हमारे हाथ में ही होता है।