मन → बालक (चंचल)।
वचन → पिता, कड़े शब्दों का प्रयोग।
काय → माँ, पिटाई भी कर देती है।
मुनि श्री मंगल सागर जी
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2 Responses
मुनि मंगलसागर महाराज जी ने मन, वचन, काय को परिभाषित किया गया है वह पूर्ण सत्य है। अतः जीवन के कल्याण के लिए मन, वचन, काय में पवित्रता होना परम आवश्यक है।
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मुनि मंगलसागर महाराज जी ने मन, वचन, काय को परिभाषित किया गया है वह पूर्ण सत्य है। अतः जीवन के कल्याण के लिए मन, वचन, काय में पवित्रता होना परम आवश्यक है।
Bahut hi saral example se ‘मन / वचन / काय’ ko paribhaashit kiya ! Namostu Gurudev !