मरण
सुमरण…. भगवान का नाम लेते हुए मरण।
समाधि मरण…. क्रमश: भोजनादि छोड़ते हुए भगवान के स्मरण के साथ मरण।
मुनि श्री प्रमाणसागर जी
सुमरण…. भगवान का नाम लेते हुए मरण।
समाधि मरण…. क्रमश: भोजनादि छोड़ते हुए भगवान के स्मरण के साथ मरण।
मुनि श्री प्रमाणसागर जी
One Response
मुनि श्री प़माणसागर महाराज जी ने मरण की परिभाषा का उदाहरण दिया गया है वह पूर्ण सत्य है! जीवन में सबसे सुंदर मरण यानी समाधि मरण के भाव होना चाहिए ताकि जीवन का कल्याण हो सकता है!