मरणांतक समुद्धघात चारों गतियों के जीवों को हो सकता है, सर्वार्थसिद्धि तक के जीवों को होता है ।
ये जीव पहले ही आयुबंध किये होते हैं ।
पं. रतनलाल बैनाड़ा जी
Share this on...
One Response
समुद्वघात—-वेदना आदि के निमित्त से मूल शरीर को नही छोडते हुए जो जीव के कुछ आत्म प़देश शरीर से बाहर निकलते हैं उसे ही कहते हैं।
सर्वार्थसिद्वी—-वैमानिक देवो के पांच अनुत्तर विमानो में एक विमान का नाम होता है।
मरणांतक समुद्वघात चारो गतियों के जीवो को हो सकता है,सर्वार्थसिद्वी तक के जीवो को, पहिले ही आयुबंध किये वाले जीवों को ही ।
One Response
समुद्वघात—-वेदना आदि के निमित्त से मूल शरीर को नही छोडते हुए जो जीव के कुछ आत्म प़देश शरीर से बाहर निकलते हैं उसे ही कहते हैं।
सर्वार्थसिद्वी—-वैमानिक देवो के पांच अनुत्तर विमानो में एक विमान का नाम होता है।
मरणांतक समुद्वघात चारो गतियों के जीवो को हो सकता है,सर्वार्थसिद्वी तक के जीवो को, पहिले ही आयुबंध किये वाले जीवों को ही ।