मर्यादा

जब कोई मर्यादा (औकात) से ज्यादा बातें करने लगे/परछायीं कद से ज्यादा बड़ी हो जाये तब जान लो – सूरज ड़ूबने वाला है।

मुनि श्री प्रमाणसागर जी

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One Response

  1. मर्यादा का तात्पर्य मन वचन काय अथवा वस्तु एवं कार्यों में सीमित नियन्त्रण एवं संकल्प होना आवश्यक है ताकि जीवन का कल्याण हो सकता है उपरोक्त कथन सत्य है कि जब कोई मर्यादा यानी औकात से ज्यादा बात करने लगे,तब जान लेना चाहिए कि सूरज डूबने वाला होता है।जैन धर्म में मर्यादित होना परम आवश्यक है ताकि जीवन का कल्याण हो सकता है।

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