वैराग्य
महावीर भगवान ने अन्य भगवानों की तरह गृहस्थ जीवन बिताकर वैराग्य क्यों नहीं लिया ?
महावीर भगवान के समय हिंसा का वातावरण था, वैराग्य में/भगवान बनने में जितना विलम्ब होता, उतने जीवों की हिंसा अधिक होती।
नेमीनाथ तथा पार्श्वनाथ भगवानों को भी वैराग्य जीव-दया से ही हुआ था।
मुनि श्री सुधासागर जी
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वैराग्य का तात्पर्य मोक्ष प्राप्त करना होता है। उपरोक्त कथन सत्य है प़त्येक तीर्थंकरों के लिए अलग अलग परिस्थितियों के कारण वैराग्य का रास्ता मिला था लेकिन,सभी भगवान् वैराग्य होकर ही तीर्थंकर बन सके थे। अतः धर्म में वैराग्य ही मोक्ष मार्ग पर चलने के लिए आवश्यक होता है।