आचार्य श्री ज्ञानसागर जी(आचार्य श्री विद्यासागर जी के गुरु) कहते थे …
मानी को मान दे देना चाहिये (उपद्रव नहीं करेगा) ।
वैसे भी ईंधन को सिर पर ही रखते हैं, अंत में तो उस बेचारे को जलना ही होता है ।
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मान का मतलब दूसरों के प्रति नमने की वृत्ति न होना होता हैं, अथवा दूसरों के प्रति तिरस्कार रुप मान होता है। अतः समाधिस्त आचार्य श्री ज्ञानसागर महाराज का कथन सत्य है कि मानी को मान दे देना चाहिए तब वह उपद़व नहीं करेगा । अतः जो उदाहरण दिया गया है वह सही है।
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मान का मतलब दूसरों के प्रति नमने की वृत्ति न होना होता हैं, अथवा दूसरों के प्रति तिरस्कार रुप मान होता है। अतः समाधिस्त आचार्य श्री ज्ञानसागर महाराज का कथन सत्य है कि मानी को मान दे देना चाहिए तब वह उपद़व नहीं करेगा । अतः जो उदाहरण दिया गया है वह सही है।