गुणी व्यक्ति ही दूसरे के गुण को पहचान सकता है, गुणहीन नहीं।
बलवान ही दूसरे के बल को पहचानता है, बलहीन नहीं।
बसंत ऋतु आये तो उसे कोयल ही पहचान सकती है, कौआ नहीं।
सिंह के बल को हाथी पहचानता है, चूहा नहीं।
(सुरेश – इंदौर)
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श्री सुरेश जी ने मान्यता का उदाहरण दिया गया है वह पूर्ण सत्य है! अतः जीवन में जो गुणी वान होता है वही अच्छे कार्यों की मान्यता प्रदान करने में समर्थ होते हैं!
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श्री सुरेश जी ने मान्यता का उदाहरण दिया गया है वह पूर्ण सत्य है! अतः जीवन में जो गुणी वान होता है वही अच्छे कार्यों की मान्यता प्रदान करने में समर्थ होते हैं!