आवश्यक / आकर्षण
बाज़ार जाओ तो सेवक बन कर लिस्ट के अनुसार खरीददारी करो, मालिक बनकर गये तो चीजें आकर्षित करेंगी।
जैसे कैमिस्ट की दुकान पर पर्चे के अनुसार दवाई लेते हो न !
स्वादिष्ट/कीमती दवा तो नहीं लेते हो !!
मुनि श्री सुधासागर जी
बाज़ार जाओ तो सेवक बन कर लिस्ट के अनुसार खरीददारी करो, मालिक बनकर गये तो चीजें आकर्षित करेंगी।
जैसे कैमिस्ट की दुकान पर पर्चे के अनुसार दवाई लेते हो न !
स्वादिष्ट/कीमती दवा तो नहीं लेते हो !!
मुनि श्री सुधासागर जी
One Response
जीवन में वस्तुओं के लिए दो प़कार के भाव होते हैं, आवश्यकता एवं आकर्षण। उपरोक्त कथन सत्य है कि आवश्यक वस्तुओं के लिए लिस्ट बनाकर जाते हैं,उसकी खरीद करते हैं, पर आकर्षिक वस्तुओं के लिए मालिक बन कर जाना होता है। अतः यह भी सत्य है कि कैमिस्ट दुकान पर पर्चे के अनुसार लेते हो, स्वादिष्ट या कीमती नहीं। अतः जीवन में आवश्यकता अनुसार ही खरीद करना चाहिए ताकि धन की बर्बादी न हो।