मित्र
- जो बुराई में आपका साथ दे वो आपका मित्र नहीं हो सकता ।
किसी का साथ देना ही मित्रता का गुण नहीं है अपितु किसी को गलत कार्य करने से रोकना यह एक श्रेष्ठ मित्र का गुण है । - सही काम में किसी का साथ दो ना दो यह अलग बात है मगर किसी के बुरे कार्यों में साथ देना यह अवश्य गलत बात है ।
अगर आपके मित्र आपको गलत कार्यों से रोकते हैं तो समझ लेना आप दुनियाँ के खुशनसीब लोगों में से एक हैं । - मित्र का अर्थ है कि जो आपके लिए भले ही रुचिकर ना हो मगर हितकर अवश्य हो।
जिसे आपका वित्त प्यारा न हो, हित प्यारा हो समझ लेना वो आपका सच्चा मित्र है ।
(श्री अरविंद बड़जात्या)
5 Responses
what message should be conveyed to “Aatama”
Hay Atma!
b my real friend.
never suport me when I m wrong, rather fire me.
said to be
possible
in
“jaagrit” state
MOKSH ka marg bataye wo MITRA. Shree RaichandG.
true