मिश्र गुणस्थान
मिश्र गुणस्थान में दो भाव नहीं, एक ही भाव होता है;
क्योंकि छद्मस्थों के एक समय में एक ही उपयोग लगता है ।
एक उपयोग भी, एक विषय का ही ग्रहण करता है ।
बाई जी
क्योंकि भाव माध्यस्थ होते हैं ।
चिंतन
तवे के ठंड़े या बहुत गर्म होने से रोटी कच्ची रह जायेगी या जल जायेगी ।
भेद विज्ञान माध्यस्थ भाव में ही संभव है, जब रोटी के ऊपर की परत अलग हो जाती है ।
मुनि श्री भूतबली सागर जी