मुसीबत
दुश्मन चाहे मनुष्य रूप में हो या कर्मरूप में, वह तो अपना स्वार्थ देखेगा ही ।
आप उसे यह नहीं कह सकते कि… हे ! मुसीबत मुझे मत सताओ ।
अपनी मन, वचन, काय रूपी ढाल तथा पुरुषार्थ रूपी तलवार से वीरों की तरह Defence/Attack करना होगा ।
मुनि श्री सुधासागर जी
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मुसीबत यानी कठिनाई तो मनुष्य जीवन में आती रहती हैं । लेकिन जीवन में मुसीबत को सहजता और सामता से स्वीकार कर पुरुषार्थ करना परम आवश्यक है। अतः अपनी मन वचन काय रुपी ढाल तथा पुरुषार्थ रुपी तलवार से वीरों की तरह, उसमें बचाव और हमला करना आवश्यक है ताकि जीवन का कल्याण हो सके ।