म्लेच्छ खंड़

सम्यग्दर्शन यहाँ नहीं होता (सबका गुणस्थान 1), इसको छोड़कर आर्यखंड़ में आने पर हो सकता है ।
यहाँ लब्धिपर्याप्तक नहीं होते क्योंकि वातावरण साफ सुथरा होता है, जैसे पश्चिमी देशों का ।
विदेह क्षेत्र में भी नहीं होते ।
भरत/ऐरावत के चौथे काल में होते हैं, जहाँ काल परिवर्तन होता रहता है ।

पं. रतनलाल बैनाड़ा जी

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