ईर्यापथ आश्रव- – उपशान्त कषाय,क्षीण कषाय और सयोग केवली भगवान के कषाय का अभाव हो जाने से मात्र योग के द्वारा आए हुए कर्म, सूखी दीवर पर पड़ी धूल के समान झड़ जाते हैं, जबकि बंधते नहीं है, वही कहलाता है। अतः यह कथन सत्य है कि ईर्यापथ आश्रव में योग,ध्यान की अपेक्षा कहा गया है।
5 Responses
Can its meaning be explained please?
श्रेणी आरोहण के समय जीव ध्यान ही में तो रहता है,
13वें गु.स्थान में बिना मन के योग होता है,
तो ईर्यापथ-आश्रव में योग ध्यान की अपेक्षा ही घटित होगा न!
ईर्यापथ आश्रव- – उपशान्त कषाय,क्षीण कषाय और सयोग केवली भगवान के कषाय का अभाव हो जाने से मात्र योग के द्वारा आए हुए कर्म, सूखी दीवर पर पड़ी धूल के समान झड़ जाते हैं, जबकि बंधते नहीं है, वही कहलाता है। अतः यह कथन सत्य है कि ईर्यापथ आश्रव में योग,ध्यान की अपेक्षा कहा गया है।
11 से 13वें गु.स्थानों में ।
Okay.