रागद्वेष और कषाय एक ही हैं,
रागद्वेष चरणानुयोग में, कषाय करणानुयोग में ।
मुनि श्री सुधासागर जी
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One Response
राग—इष्ट पदार्थो के प़ति या हर्ष रुप परिणाम होते हैं।
कषाय—आत्मा में होने वाले क़ोधदि रुप को कहते हैं।
चरणायोग में कषाय को मंद करने का उपाय बताता है ।
अतः यह कथन सही है कि रागद्वेष और कषाय से बचने के लिए करुणायोग एवं चरणायोग शास्त्रो का उपयोग करना आवश्यक होता है।
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राग—इष्ट पदार्थो के प़ति या हर्ष रुप परिणाम होते हैं।
कषाय—आत्मा में होने वाले क़ोधदि रुप को कहते हैं।
चरणायोग में कषाय को मंद करने का उपाय बताता है ।
अतः यह कथन सही है कि रागद्वेष और कषाय से बचने के लिए करुणायोग एवं चरणायोग शास्त्रो का उपयोग करना आवश्यक होता है।