शुभ क्रियाओं में रुचि 3 प्रकार की –
1. कब पूरी होंगी ? – जघन्य/हल्की
2. पूरी तो नहीं हो जायेंगी – मध्यम
3. पूरी होने ना होने पर ध्यान ही नहीं, बस वर्तमान में आनंदित – उत्कृष्ट
अशुभ क्रियाओं में भी ऐसे ही घटित करें –
1.उत्कृष्ट
2.मध्यम
3.जघन्य
चिंतन
Share this on...
One Response
जीवन में रुचि दो प़कार की होती है,शुभ एवं अशुभ।
अतः उपरोक्त उदाहरण दिया गया है वह पूर्ण सत्य है कि शुभ क़ियायो में रुचि तीन प़कार की होती है, अतः जब सोचता हूं कि कब पूरी होगी यह जघन्य एवं हल्की, जब सोचता हूं कि पूरी नहीं हो पायेगी यह मध्यम,जब पूरी होने न होने पर ध्यान नहीं वह वर्तमान में आनन्दित– उत्कृष्ट।इसी प्रकार अशुभ क़ियायो में भी घटित करें, उत्कृष्ट,मध्यम एवं जघन्य।। अतः जीवन में शुभ क़ियायो का आलंबन लेना चाहिए ताकि जीवन का कल्याण हो सकता है।
One Response
जीवन में रुचि दो प़कार की होती है,शुभ एवं अशुभ।
अतः उपरोक्त उदाहरण दिया गया है वह पूर्ण सत्य है कि शुभ क़ियायो में रुचि तीन प़कार की होती है, अतः जब सोचता हूं कि कब पूरी होगी यह जघन्य एवं हल्की, जब सोचता हूं कि पूरी नहीं हो पायेगी यह मध्यम,जब पूरी होने न होने पर ध्यान नहीं वह वर्तमान में आनन्दित– उत्कृष्ट।इसी प्रकार अशुभ क़ियायो में भी घटित करें, उत्कृष्ट,मध्यम एवं जघन्य।। अतः जीवन में शुभ क़ियायो का आलंबन लेना चाहिए ताकि जीवन का कल्याण हो सकता है।