रूपी / मूर्तिक

मूर्ति स्थिर होती है, सो जिसका आकार स्थिर हो वह मूर्तिक।
आत्मा → अमूर्तिक (आकार बदलता रहता है, पर्यायों के अनुरूप);
अरूपी (सूक्ष्मता तथा स्वभाव की अपेक्षा)।
पुदगल → रूपी, मूर्तिक।
बाकी 4 द्रव्य → अरूपी, मूर्तिक।

चिंतन

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6 Responses

  1. चिंतन में रुपी एवं मूर्तिक का उदाहरण दिया गया है वह पूर्ण सत्य है। अतः जीवन के कल्याण के लिए आत्मा को पहिचान करना परम आवश्यक है।

    1. धर्म, अधर्म आदि दिखते नहीं सो अरूपी।
      पर इनका आकार तो है न, सो अमूर्तिक।

    1. मूर्तिक ही, जिसका आकार स्थिर हो। चार द्रव्यों के आकार निश्चित हैं न !

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